महाराणा प्रताप हिस्ट्री हिंदी में: महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 में कुम्भलगढ़, राजस्थान में हुआ था। उनके पिता महाराणा उदय सिंह द्वितीय थे और उनकी माता रानी जीवंत कंवर थी। महाराणा प्रताप को “मेवाड़ का सबसे शूरवीर योद्धा” व “भारत का वीर पुत्र” भी कहा जाता है | महाराणा उदय सिंह द्वितीय मेवाड़ के राज्य शासक थे और उनकी राजधानी चित्तौड़ थी ।महाराणा उदय सिंह द्वितीय के पच्चीस बेटों में से महाराणा प्रताप सबसे बड़े थे इसलिए उन्हें युवराज का खिताब दिया गया था| सिसोदिया राजपूत में से मेवाड़ का 54वां शासक उनकी किस्मत में लिखा था |
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महाराणा प्रताप का इतिहास | महाराणा प्रताप निबंध
1567 में, जब युवराज प्रताप सिंह केवल 27 के थे , तब चित्तौड़ सम्राट अकबर की मुगल सेना से घिर चुका था |ऐसे में महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने मुगलों को हथियार डालकर चित्तौड़ छोड़ अपने परिवार को गोगुन्दा ले जाने का फैसला किया | लेकिन युवराज प्रताप सिंह चित्तौड़ छोड़ना नहीं चाहते थे वे चाहते थे चित्तोड़ में रहकर मुघलो से लड़कर अपना चित्तोड़ सुरक्षित हासिल किया जाए परंतु बड़ो के आग्रह करने पर वे ऐसा कुछ नही कर पाए लेकिन यही से युवराज प्रताप के तेजस पता चल गया और आगे चलकर प्रताप के बहादुरी किस्से होने वाले हैं ऐसा सब समझ चुके थे |
महाराणा प्रताप का जीवन परिचय
गोगुन्दा में, महाराणा उदय सिंह द्वितीय और उनके सलाहकारों ने मेवाड़ के साम्राज्य की एक अस्थायी सरकार की स्थापना की। 1572 में महाराज उदय सिंह की मृत्यु हो गयी जिसके कारण युवराज प्रताप का महाराणा बनना तय था लेकिन क्योंकि महाराणा उदयपुर के आखिरी समय में वे अपनी रानियो में से एक रानी भटियाणी के ज़्यादा नज़दीक थे ऐसे में रानी ने राजा से प्रण ले रखा था उनके बेटे जगमाल को ही राजा बनाएं और अपने पिता महाराणा उदय सिंह द्वितीय के सम्मान में युवराज ने अपने आधे भाई जगमाल को महाराणा बनवा दिया| सब जानते थे की यह काफी विनाशकारी कदम है और ऐसा हुआ भी जिसके कारण मेवाड़ राज्य को काफी नुक्सान हुआ ऐसे में उदय सिंह द्वितीय के सलाहकारों ने जगमाल को महाराणा के पद से हटवा कर युवराज प्रताप को नया महाराणा बनाया| ऐसे बने मरना प्रताप प्रथम सिसोदिया राजपूत के 54वे शासक |
महाराणा प्रताप की हिस्ट्री हिंदी में
महाराण प्रताप भारत वंश के सबसे वीर व् साहसी पुत्र माने जाते हैं उन्होंने प्रण लिया था जब तक वह अपने राज्य को वापिस नहीं पा लेंगे कभी भी राज शाही सुख नही भोगेंगे | उन्होंने हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की सेना को लाखो चने चबवा दिए थे जिसके कारण मुग़ल, राणा प्रताप से थर थर कांपने लगे लेकिन आखिर शंडो में मुग़लो ने छिपकर हमला करा जिसके कारण महाराणा प्रताप की सेना फ़तेह न कर पायी लेकिन महाराणा प्रताप की सेना अकेली ऐसी सेना थी जिसने मुघलो को घुटनो पर ला खड़ा किया था |
महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई
जनवरी 1597 में, महाराणा प्रताप सिंह, मेवाड़ के सबसे बड़ी नायक, शिकार करते वक्त दुर्घटना में घायल हो गए थे जिसके कारण 29 जनवरी, 1597 पर चावंड उदयपुर में उन्होंने अपने शरीर को 56 वर्ष की आयु में, त्याग दिया। कहते हैं राणा प्रताप की मृत्यु की खबर सुनकर अकबर की आँखे भी नाम हो गयीं थी |
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