Maharshi Vedvyas Ke Anmol Vichar : चारो वेदो के ज्ञाता महर्षि वेद व्यास जी जिहोने वेदो का विस्तार किया और और हिन्दू धर्म में आदिगुरु की उपाधि प्रदान की जाती है ऐसा मन जाता है की खुद भगवान ने वेदो का विस्तार करने के लिए महर्षि व्यास जी द्वारा अवतार लिया | महर्षि एक सिद्ध और ज्ञानी महापुरुष थे उनके उपदेश और उनके विचार हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी है इसीलिए हम आपको वेद व्यास जी के कुछ महत्वपूर्ण विचार बताता हु जो की हमारे लिए काफी सिखाने लायक है जिनकी मदद से हम अपने जीवन को जीन सीख सकते है |
यहाँ भी देखे : महान सम्राट अशोक के अनमोल विचार
वेदव्यास के उपदेश
Vedvyas Ke Updesh : वेद व्यास जी ने अपने जीवन काल में कई उपदेश दिए है जो की मानव जीवन के लिए हितकारी है जिनमे से कुछ उपदेश हम आपको बताते है आप इन उपदेशो को पढ़ कर इनके बारे में जान सकते है :
मधुर शब्दों में कही हुई बात अनेक प्रकार से कल्याण करती है, किंतु यही यदि कटु शब्दों में कही जाए तो महान् अनर्थ का कारण बन जाती है। ~ वेदव्यास
मन से दुखों का चिंतन न करना ही दुखों के निवारण की औषधि है। ~ वेदव्यास
स्वार्थ बड़ा बलवान है। इसी कारण कभी-कभी मित्र शत्रु बन जाता है और शत्रु मित्र। ~ वेदव्यास
किसी का सहारा लिए बिना कोई ऊंचे नहीं चढ़ सकता, अत: सबको किसी प्रधान आश्रय का सहारा लेना चाहिए। ~ वेदव्यास
कभी-कभी समय के फेर से मित्र शत्रु बन जाता है और शत्रु भी मित्र हो जाता है, क्योंकि स्वार्थ बड़ा बलवान है। ~ वेदव्यास
किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए और न किसी प्रकार उसे सुनना ही चाहिए। ~ वेदव्यास
पुरुषार्थ का सहारा पाकर ही भाग्य भली-भांति बढ़ता है। ~ वेदव्यास
प्राप्त हुए धन का उपयोग करने में दो भूलें हुआ करती हैं, जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए। अपात्र को धन देना और सुपात्र को धन न देना। ~ वेद व्यास
बैर के कारण उत्पन होने वाली आग एक पक्ष को स्वाहा किए बिना कभी शांत नहीं होती। ~ वेदव्यास
न कोई किसी का मित्र है और न कोई किसी का शत्रु। स्वार्थ से ही मित्र और शत्रु एक-दूसरे से बंधे हुए हैं। ~ वेदव्यास
निरोगी रहना, ऋणी न होना, अच्छे लोगों से मेल रखना, अपनी वृत्ति से जीविका चलाना और निभर्य होकर रहना- ये मनुष्य के सुख हैं। ~ वेदव्यास
राजधर्म एक नौका के समान है। यह नौका धर्म रूपी समुद्र में स्थित है। सतगुण ही नौका का संचालन करने वाला बल है, धर्मशास्त्र ही उसे बांधने वाली रस्सी है। ~ वेदव्यास
राजन, यद्यपि कहीं-कहीं शीलहीन मनुष्य भी राज्य लक्ष्मी प्राप्त कर लेते हैं, तथापि वे चिरकाल तक उसका उपभोग नहीं कर पाते और मूल सहित नष्ट हो जाते हैं। ~ वेदव्यास
यहाँ भी देखे : भगवान महावीर के अनमोल वचन
वेदव्यास कोट्स
Vedvyas Quotes : यदि आप महर्षि वेद व्यास जी के कोट्स जानना चाह रहे है तो इसके लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी को पढ़े जिसमे आपको वेद व्यास जी के कोट्स के बारे में जानकारी मिलती है :
राजा की स्थिति प्रजा पर ही निर्भर होती है। जिसे पुरवासी और देशवासियों को प्रसन्न रखने की कला आती है, वह राजा इस लोक और परलोक में सुख पाता है। ~ वेदव्यास
यदि अपने पास धन इकट्ठा हो जाए, तो वह पाले हुए शत्रु के समान है क्योंकि उसे छोड़ना भी कठिन हो जाता है। ~ वेदव्यास
गहरे जल से भरी हुई नदियां समुद्र में मिल जाती हैं परंतु जैसे उनके जल से समुद्र तृप्त नहीं होता, उस प्रकार चाहे जितना धन प्राप्त हो जाए, पर लोभी तृप्त नहीं होता। ~ वेदव्यास
संसार में ऐसा कोई नहीं हुआ है जो मनुष्य की आशाओं का पेट भर सके। पुरुष की आशा समुद्र के समान है, वह कभी भरती ही नहीं। ~ वेदव्यास
सत्य से सूर्य तपता है, सत्य से आग जलती है, सत्य से वायु बहती है, सब कुछ सत्य में ही प्रतिष्ठित है। ~ वेदव्यास (महाभारत)
सत्य ही धर्म, तप और योग है। सत्य ही सनातन ब्रह्मा है, सत्य को ही परम यज्ञ कहा गया है तथा सब कुछ सत्य पर ही टिका है। ~ वेदव्यास
ज्ञानरूप, जानने योग्य और ज्ञान से प्राप्त होने वाला परमात्मा सबके हृदय में विराजमान है। ~ वेदव्यास
क्षमा धर्म है, क्षमा यज्ञ है, क्षमा वेद है और क्षमा शास्त्र है। जो इस प्रकार जानता है, वह सब कुछ क्षमा करने योग्य हो जाता है। ~ वेदव्यास
लोभी मनुष्य किसी कार्य के दोषों को नहीं समझता, वह लोभ और मोह से प्रवृत्त हो जाता है। ~ वेदव्यास
शोक करने वाला मनुष्य न तो मरे हुए के साथ जाता है और न स्वयं ही मरता है। जब लोक की यही स्वाभाविक स्थिति है तब आप किस लिए बार-बार शोक कर रहे हैं। ~ वेदव्यास
सत्पुरुष दूसरों के उपकारों को ही याद रखते हैं, उनके द्वारा किए हुए बैर को नहीं। ~ वेदव्यास
सदाचार से धर्म उत्पन्न होता है तथा धर्म से आयु बढ़ती है। ~ वेदव्यास
स्वार्थ की अनुकूलता और प्रतिकूलता से ही मित्र और शत्रु बना करते हैं। ~ वेदव्यास
यहाँ भी देखे : शिक्षा पर महान व्यक्तियों के विचार
महर्षि वेदव्यास जी के कथन
प्रयत्न न करने पर भी विद्वान लोग जिसे आदर दें, वही सम्मानित है। इसलिए दूसरों से सम्मान पाकर भी अभिमान न करे। ~ वेद व्यास
विद्या के समान कोई नेत्र नहीं है। ~ वेदव्यास
विवेकी पुरुष को अपने मन में यह विचार करना चाहिए कि मैं कहाँ हूँ, कहाँ जाऊंगा, मैं कौन हूँ, यहाँ किसलिए आया हूँ और किसलिए किसका शोक करूं। ~ वेदव्यास
विजय की इच्छा रखने वाले शूरवीर अपने बल और पराक्रम से वैसी विजय नहीं पाते, जैसी कि सत्य, सज्जनता, धर्म तथा उत्साह से प्राप्त कर लेते हैं। ~ वेदव्यास
विद्या, शूरवीरता, दक्षता, बल और धैर्य, ये पांच मनुष्य के स्वाभाविक मित्र हैं। बुद्धिमान लोग हमेशा इनके साथ रहते हैं। ~ वेदव्यास
धर्म का पालने करने पर जिस धन की प्राप्ति होती है, उससे बढ़कर कोई धन नहीं है। ~ वेदव्यास
धर्म, सत्य, सदाचार, बल और लक्ष्मी सब शील के ही आश्रय पर रहते हैं। शील ही सबकी नींव है। ~ वेदव्यास
दुखों में जिसका मन उदास नहीं होता, सुखों में जिसकी आसक्ति नहीं होती तथा जो राग, भय व क्रोध से रहित होता है, वही स्थितिप्रज्ञ है। ~ वेदव्यास
दु:ख को दूर करने की एक ही अमोघ औषधि है- मन से दुखों की चिंता न करना। ~ वेदव्यास
बुद्धिमान पुरुष को चाहिए कि सुख या दु:ख, प्रिय अथवा अप्रिय, जो प्राप्त हो जाए, उसका हृदय से स्वागत करे, कभी हिम्मत न हारे। ~ वेदव्यास
बलवती आशा कष्टप्रद है। नैराश्य परम सुख है। ~ व्यास
बाणों से बिंधा हुआ तथा फरसे से कटा हुआ वन भी अंकुरित हो जाता है, किंतु कटु वचन कहकर वाणी से किया हुआ भयानक घाव नहीं भरता। ~ वेदव्यास
Contents
