Mother Teresa Ke Vichar : मदर टेरेसा जी के बारे में कौन नहीं जानता वह एक कैथोलिक नन थी और वह रोम की होते हुए भी उनके पास भारत की नागरिकता थी | इन्होने भारत में रह कर मानवता की भलाई के लिए कई अनूठे कार्य किये है और 1950 में कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ़ चेरिटी की स्थापना भी की | जिसके कारणवश इन्हे 1962 में पद्मश्री,1979 में नोबेल शांति पुरस्कार तथा 1980 में भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाज़ा गया इसीलिए हम आपको मदर टेरेसा द्वारा कहे गए कुछ महत्वपूर्ण विचारो के बारे में बताते है जिसके माध्यम से आप उनके बारे में जान सकते है |
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मदर टेरेसा कोट्स
Mother Teresa Quotes : मदर टेरेसा जी ने अपने जीवन में मानवता के लिए कारगर काम किये जिन कामो के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित किया गया इसीलिए आप उनके कुछ कोट्स नीचे पढ़ सकते है :
1. सारे भूखो के मुँह में अन्न नहीं दिया जा सकता सभी रोगियों की सेवा कर पाना भी सम्भव नहीं हैं, तब क्या सेवा ,दान, प्यार आदि को छींके पर टांग कर रख दे? नहीं, मार्ग में चलते हुए यदि आँखों के सामने कोई भूखा आ खड़ा हो, तो उसे देखना ही धर्म है, उसकी भूख मिटाने के लिए आगे बढ़ना मानवता का कर्तव्य हैं
2. सबको प्यार करके ही हम भगवान के पास पहुंच पाएंगे इसके अतिरिक्त किसी अन्य मार्ग से वहां पंहुचा जा सकता हैं या नहीं, यह मुझे नहीं मालूम
3. हमारा कार्य समुंद्र में पानी की एक बूंद के समान हो सकता हैं, किन्तु उस समुंद्र में एक बूंद जल भी न पड़ता, तो समुंद्र एक बूंद जल से वंचित हो जाता
4. मनुष्य में ही भगवान विधमान हैं ‘सीमा के भीतर असीम’ की तरह इस मनुष्य में ही सर्वशक्तिमान प्रभु नित्य नये-नये रूपों में प्रकाशित होते हैं हम यीशु के दर्शन नहीं कर सकते, हम प्रत्यक्ष रूप में उन्हें अपने प्रेम का परिचय नहीं दे सकते, किन्तु अपने पड़ोसियों को हम प्रत्यक्ष देख सकते हैं यीशु को देखकर हम जो कुछ करते, वही हम अपने पड़ोसियों के लिए उन्हें यीशु समझकर कर सकते हैं
5. सेवा के कार्य में पग-पग पर विपति की आशंका रहती हैं हमें सदा यह बात याद रखनी होगी कि हम जो भी कुछ करें सब उनके लिए करें
6. “हमें कोई नहीं चाहता”, यही भावना सबसे बड़ा रोग हैं मानव जीवन में इससे बड़ा रोग नहीं हो सकता आज कुष्ठ रोग के उपचार की भी औषधि बन गई हैं,किन्तु “ मैं अवांछित हूं, मुझे कोई नहीं चाहता”, इस भावना जैसा भयंकर रोग अन्य कोई है, यह मुझे ज्ञान नहीं, इस व्याधि को दूर करने की एक ही औषधि है और वह है – ‘प्रेम’
7. विश्वास भगवान का वरदान हैं इसके बिना जीवन नहीं चल सकता ईश्वर के प्रति समर्पित कार्य तभी सार्थक हैं जब वह गहरे विश्वास से उत्पन्न हो, क्यों कि यीशु के कहा है, “ मैं भूखा हूं, मैं नंगा हूं और मैं गृह-विहीन हूं मुझे ऐसा ही समझकर मेरी सेवा करो ” इन्ही सब बातों पर विचार करते हुए अपने मार्ग का निर्धारण करना होगा
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मदर टेरेसा के अनमोल वचन
Mother Teresa Ke Anmol Vachan : मदर टेरेसा जी के अनमोल वचनो को जानने के लिए नीचे बताई गयी जानकारी को पढ़ सकते है जिसके माध्यम से आपको उनके बारे में भी जानकारी मिल जाती है :
8. सब कुछ ईश्वर की इच्छा हैं इसी विश्वास पर जीवन का आदि और अन्त आधारित है एक वस्तु का और पालन करना पड़ता है, वह हैं अन्त तक गरीबों की सेवा में प्राण दे देना, सब कुछ देने योग्य हैं
9. नहीं केवल धन से सेवा नहीं होती सेवा का हर्द्य चाहिए अस्पताल के डॉक्टर नर्स भी तो सेवा करते हैं उस सेवा में प्रेम का स्पर्श है भी या नहीं, यही विचारणीय बात हैं प्रेम के विश्व में छल-धोखे के लिए कोई स्थान नहीं हैं मुहँ से नहीं कार्य से समझाना होगा कि हम उन्हें प्यार करते हैं
10. यदि आप चाहते हैं की एक प्रेम संदेश सुना जाय तो पहले उसे भेजें. जैसे एक चिराग को जलाए रखने के लिए हमें दिए में तेल डालते रहना पड़ता है..
11. यह महत्वपूर्ण नहीं है आपने कितना दिया, बल्कि यह महत्वपूर्ण है की देते समय आपने कितने प्रेम से दियाप्रेम की शुरुआत निकट लोगों और संबंधों की देखभाल और जिम्मेदारी से होती है, वो निकट सम्बन्ध आपके घर में हैं
12. प्रेम की शुरुआत निकट लोगों और संबंधों की देखभाल और जिम्मेदारी से होती है, वो निकट सम्बन्ध आपके घर में हैं
13. इस जीवन को जी-जान से प्यार करना होगा दरिद्रता को आभूषण बनाकर हर एक के बीच काम करने के लिए जाना होगा भगवान के प्रति प्यार की मूर्ति ही यह कार्य हैं हमारे प्यार का स्पर्श किसी न किसी के लिए तो निर्दिर्ष्ट हैं ही
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मदर टेरेसा के कथन
Mother Teresa ke Kathan : मदर टेरेसा जी द्वारा कहे गए कथनो में से कुछ कथनो को जानने के लिए नीचे बताई गयी जानकारी को आराम से पढ़ सकते है :
14. अगर आपको प्यार के कुछ शब्द सुनने है, तो पहले आपको कुछ प्यार के शब्द कहने भी पड़ेंगे. बिलकुल उसी तरह जैसे किसी दिए को जलाये रखने के लिए पहले उसमे तेल भी डालना पड़ता है
15. जिस व्यक्ति को कोई चाहने वाला न हो, कोई ख्याल रखने वाला न हो, जिसे हर कोई भूल चुका हो,मेरे विचार से वह किसी ऐसे व्यक्ति की तुलना में जिसके पास कुछ खाने को न हो,कहीं बड़ी भूख, कही बड़ी गरीबी से ग्रस्त है
16. पेड़, फूल और पौधे शांति में विकसित होते हैं, सितारे, सूर्य और चंद्रमा शांति से गतिमान रहते हैं, शांति हमें नयी संभावनाएं देती है
17. अवांछित, अप्रिय, उपेक्षित, सबके द्वारा भुलाया हुआ व्यक्ति मेरे ख्याल से उस व्यक्ति से बहुत ज्यादा भूखा व बहुत ज्यादा गरीब है जिसके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है
18. केवल धन देने भर से संतुष्ट न हों, धन पर्याप्त नहीं है, वह पाया जा सकता है लेकिन उन्हें आपके प्रेम की आवश्यकता है, तो जहाँ भी आप जायें अपना प्रेम सबमे बांटे
19. हम सिर्फ काम की खातिर काम करते हैं, तो हमेशा खतरा बना रहता है. सम्मान, प्रेम और समर्पण वहीं आयेंगे – जहाँ हम क्राइस्ट के लिए, भगवान के लिए यह करते हैं, और इसी कारण हम जितना खूबसूरती से करना संभव हो प्रयास करेंगे
20. जिस व्यक्ति को कोई चाहने वाला न हो, कोई ख्याल रखने वाला न हो, जिसे हर कोई भूल चुका हो,मेरे विचार से वह किसी ऐसे व्यक्ति की तुलना में जिसके पास कुछ खाने को न हो,कहीं बड़ी भूख, कही बड़ी गरीबी से ग्रस्त है
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