त्यौहार

भैया दूज 2017 – समय, शुभ मुहूर्त व कहानी

Bhaiya Dooj 2020 – Samay, Shubh Muhurt Va Kahaani : भाई दूज का त्यौहार भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जताया है इस दिन सभी बहनें अपने भाइयो का तिलक करके उन्हें मिठाई खिला कर उनकी लम्बी उम्र की कामना करती है और भाई उन्हें उपहार देते है | यह त्यौहार दिवाली जैसे बड़े त्यौहार के बाद मनाया जाता है इसीलिए हम आपको इस त्यौहार के बारे में कुछ जानकारी देते है जिस जानकारी को पाकर आप इसका लाभ उठा सकते है | इस दिन तिलक का समय शुभ मुहूर्त्तनुसार निकाला जाता है इसीलिए हम आपको इसका शुभ मुहूर्त तथा इसकी कहानी के बारे में भी बताते है जो की हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण होती है |

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भाई दूज का मुहूर्त | भाई दूज का समय

Bhai Dooj Ka Muhurt | Bhai Dooj Ka Samay : हिंदी पंचांग के अनुसार भाई दूज का दिन हर साल बड़ी दिवाली के एक दिन बाद कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है | उसी तरह यह साल 2020 में 21 अक्टूबर के दिन मनाया जायेगा जिस दिन इसका शुभ मुहूर्त दिन में 01 बजकर 19 मिनट से लेकर 03 बजकर 36 मिनट तक का है | सभी बहनो को इसी समय अंतराल में अपने भाई की आरती उतार कर उन्हें तिलक कर देना चाहिए शुभ रहेगा |

भैया दूज तिथि – 21 अक्तूबर 2020, शनिवार
भैया दूज तिलक मुहूर्त – दोपहर 01:12 से 03:27 बजे तक (21 अक्तूबर 2020)
द्वितीय तिथि प्रारंभ – रात्रि 1:37 बजे से (21 अक्तूबर 2020)
द्वितीय तिथि समाप्त – प्रात: 03:00 बजे तक (22 अक्तूबर 2020)

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भाई दूज का मुहूर्त

भाई दूज पूजा विधि

Bhai Dooj Puja Vidhi : भाई दूज के दिन आपको भाई की पूजा किस तरह से या किस तरह से भाई दूज मनाई जाती है इसके बारे में जनरी पाने के लिए आप नीचे बताई गयी जानकारी को पढ़ सकते है :

  1. यह दिन भाई बहनो के प्यार का दिन होता है इसीलिए भाई बहनो को सुबह उठ कर स्नान करना चाहिए |
  2. उसके बाद एक थाली तैयार करनी चाहिए जिसमे की रोली, चावल, नारियल, मिठाई और दीया रखना चाहिए |
  3. उसके बाद शुभ मुहूर्त होते ही रोली का तिलक भाई के माथे पर लगाना चाहिए |
  4. भाई की आरती उतारनी चाहिए |
  5. उसके बाद मुँह मीठा करने का प्रावधान है आप मिठाई से भाई का मुँह मीठा कर सकते है |
  6. दूज करते समय भाई और बहन को पूर्व तथा पश्चिम दिशा की तरफ ही बैठना चाहिए |

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भैया दूज की कहानी | भाई दूज की कथा

Bhaiya Dooj Ki Kahani | Bhai Dooj Ki Katha : भाई दूज की उत्पत्ति के साथ जुड़े कई किंवदंतियों और कहानियां हैं यह आमतौर पर माना जाता है कि इस दिन, भगवान यम, मृत्यु के देवता ने अपनी बहन यमी या यमुना के बुलावे पर उनके घर गए थे | यमराज भयभीत थे की वह तो मृत्यु देवता है एक ऐसा काल है जिन्हे कोई भी अपने घर में बुलाना नहीं चाहता फिर उनकी बहन उन्हें किस कारणवश अपने घर में निमंत्रित कर रही है |

जैसे ही यमराज यमुना के द्वार पहुंचे यमुना ने यमराज की “आरती” और हारों के साथ उनका स्वागत किया और उनके माथे पर “तिलक” लगाया और उन्हें मिठाई खिला कर उनका आदर किया। बदले में, यमराज ने उन्हें एक अनोखा उपहार दिया और इस दिन घोषित किया कि इस दिन जो भाई अपनी बहन के द्वारा आरती और तिलक प्राप्त करेंगे उन्हें संरक्षित किया जाएगा और एक लंबे जीवन प्राप्त करेंगे। यही कारण है कि इस दिन को “यमदवितिया” या “यमदविर्थी” भी कहा जाता है।

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