Bhagwan Shriram Ji Ke Kaal Ke Wah Log Jo Manushya Nahi The : मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जिनका जीवन हमारे लिए बहुत सीखने योग्य है और उन्होंने अपने जीवन काल में बहुत त्याग किये यहाँ तक की अपने भाई और माता के कहने पर वह चौदह साल के वनवास पर चले गए उसके बाद अपनी पत्नी सीता के बिना जीना | उसके बाद महान पंडित और राक्षस रावण का वध उनके व्यक्तित्व से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है पूरी दुनिया में केवल राम का नाम ही ऐसा है जो की आपको एक सकारात्मक ऊर्जा देता है और जिसके नाम मात्रा से ही हमारे दुखो का निवारण हो जाता है और हमारे पास फैली हुई नकारात्मक ऊर्जा की समाप्ति हो जाती है इसीलिए हम आपको श्रीराम जी के जीवन काल के समय में कुछ ऐसे लोगो का परिचय देते है जो की मनुष्य नहीं थे ?
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श्रीराम के समय के महत्वपूर्ण प्राणी
Shriraam Ke Samay Ke Mahatvpurna Prani : श्रीराम के समय में कई महत्वपूर्ण प्राणी हुए जो की दिखने में जानवर या किसी अन्य प्राणी के स्वरुप थे लेकिन उन्होंने भगवान के लिए अनूठा कार्य किया जिसकी वजह से वह हमारे लिए अमर हो गए :
वानर प्रजाति
सबसे पहले हम श्रीराम के समय के सबसे महत्वपूर्ण चरित्र हनुमान जी के बारे में आपको बताते है हनुमान एक वानर दिखने वाले प्राणी थे जिनके पिता वायुदेवता और माता अंजनी थे | अंजनी एक वानर और वायुदेव एक देवता तो वह बन्दर कैसे हो सकते है | लेकिन हम आपको बता दे की वानरों को बंदरो की श्रेणी में नहीं रखा जाता वानर अलग होते है और बन्दर अलग वानर मतलब वन में रहने वाला नर | श्रीराम के जीवन काल में हनुमान, सुग्रीव और बाली जैसे कई वानर प्राणी थे जो इंसान नहीं थे |
गरुण प्रजाति
गरुण भगवान विष्णु का वाहन था और वह बहुत शक्तिशाली भी होते है भगवान राम के जीवन काल में सम्पाती और जटायु नाम के दो गरुण भाई थे जो इंसान नहीं थे लेकिन उन्होंने रावण से युद्ध में भगवान राम की मदद की थी यहाँ तक की जटायु भगवान राम के लिए शहीद हो गया था रावण से युद्ध करते वक़्त दंडकारण्य के आकाश में रावण और जटायु का युद्ध हुआ था तब रावण ने जटायु की हत्या कर दी और उनके शरीर के कुछ अंग दंडकारण्य में आ गिरे वह आज भी एक जटायु का मंदिर है यह जगह छत्तीसगढ़ में है |
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देव पक्षी
पक्षियों के राजा को गिद्ध कहते है उसमे से भगवान श्रीराम के जीवन काल में में भी देव पक्षी गरुण ही थे प्रजापति कश्यप की पत्नी विनता के दो पुत्र हुए- गरूड़ और अरुण। गरुण तो भगवान विष्णु का वाहन बन गए और अरुण सूर्य के सारथी हुए सम्पाती और जटायु अरुण के ही पुत्र थे | पुराणों के अनुसार राम समय में सम्पाती और जटायु दो गिद्ध-बंधु थे जटायु ने भगवान राम के लिए अपना जीवन त्याग दिया यहाँ तक की जब रावण माता सीता को लेकर जा रहा था तब पहले उसकी भेंट जटायु से हुई तब रावण ने जटायु को तो मर दिया लेकिन आगे चलके उनकी भेंट सम्पाती के पुत्र सुपार्श्व से हुई लेकिन रावण उन्हें चकमा देकर वहां से निकल गया इस तरह से यह गिद्ध बंधू हमेशा के लिए हमारे बीच अमर हो गए |
रीछ प्रजाति
रामायण काल में जाम्बवंतजी एक अकेले रीछ प्राणी थे भालू या रीछ जांबवंत का ही कुल माना जाता है रामायण में इनका भी एक महत्वपूर्ण योगदान है और यह भी एक मनुष्य नहीं थे | लंका युद्ध में राम-लक्ष्मण और मेघनाथ युद्ध में जब मेघनाथ के बाण ने लक्ष्मण को घायल कर दिया तब विभीषण और हनुमान को जामवंत के पास गए और उन्होंने लक्ष्मण के उपचार के लिए कैलाश पर्वत से संजीवनी नाम की जड़ी बूटी लाने को कहा था तभी हनुमान जी पूरा कैलाश पर्वत उठा लाये थे |
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नन्ही गिलहरी
भगवान राम के समय में जब राम-लक्ष्मण और माता सीता वन में भ्रमण कर रहे थे तभी भगवान राम का पेअर एक गिलहरी पर पढ़ गया था तब राम ने उस गिलहरी को अपने हाथो में उठाया और अपने पैर पड़ने की क्षमा मांगी तब गिलहरी बोली की संत-महात्मा इन चरणों की पूजा करते नहीं थकते। मेरा सौभाग्य है कि मुझे इन चरणों की सेवा का एक पल मिला | लेकिन फिर भी राम जी ने पूछा की तुम्हे दर्द नहीं हुआ तब उसने कहा की प्रभु, कोई और मुझ पर पांव रखता, तो मैं चीखती- ‘हे राम!! राम-राम!!! ‘, किंतु, जब आपका ही पैर मुझ पर पड़ा- तो मैं किसे पुकारती? तब राम जी ने अपनी तीन उंगलियां गिलहरी पर फेरी गिलहरी के ऊपर वो तीन लाइन श्रीराम की उंगलियों के ही निशान है | गिलहरियों ने रामसेतु बनवाने में भी श्रीराम की मदद की थी |
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