भारत के इतिहास में करीब ३०० साल तक मुग़ल साम्राज्य ने पुरे भारत पर राज किया था| मुग़ल के शासन में कई महान और बड़े राजा आये और गए परन्तु इन सब में से सबसे महान और प्रसिद्ध राजा शेक जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर था| उन्हें मुगलो का महान राजा माना जाता हैं| उन्हें लोग बाबर के नाम से जानते थे| इसका मूल मध्य एशिया था| उनको भारत वर्ष के मुग़ल शासक का संस्थापक के नाम से भी जाना जाता हैं| जब मुग़ल लोग अनपढ़ थे तब उन्हें ज़हिर उद-दिन मुहम्मद नाम बोलने में कठिनाई आती थी इसी वजह से उनका नाम बाबर पड़ा| आज के इस पोस्ट में हम आपको बाबर का वंश, बाबर कौन था, बाबर का जन्म कब हुआ था, बाबर की मृत्यु कैसे हुई, बाबर की माता का नाम, babar khan biography, babar biography in english, tamil, urdu, farsi आदि के बारे में जानकारी देंगे|
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Babar Khan Biography In Hindi
बाबर का पूरा नाम ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर था| उनका जन्म १४ फरवरी १४८३ को फरगना घाटी के अन्दीझ़ान शहर में हुआ था जो की आज के समय में उज्बेकिस्तान में हैं| उनकी माता का नाम कुतलुग निगार खानम था| उनके पिता का नाम उम्र शेख मिर्ज़ा था| वे फरगना घाटी के शासक थे| उनकी मातृ भाषा चंगताई भासा थी जो की तुर्की भाषा थी पर उन्हें फ़ारसी भी आती थी| फ़ारसी उस समय फरगना घाटी में आम भाषा थी| उनकी 7 पत्निया थी जिनका नाम आइशा सुल्ताना, जानब सुल्ताना, मासूमा सुल्ताना, महम सुल्ताना, बुलरोग बेगम, गुलरंग बेगम और बेगा बेगम थी| उनके 9 बच्चे थे जिसमे से हुमांयू महम बेगम के पुत्र थे| मंगोल जाति के होने के बावजूद भी उनकी प्रजा में आधे तुर्क और आधे फ़ारसी लोग थे|
Babar Ali Biography
जब बाबर १२ वर्ष के हुए तो उनके पिता की मृत्यु हों गई जिसके बाद उन्हें फरगना घाटी का शासन सौंपदिया| इस स्थिति का फ़ायदा उठाने के लिए बाबर के चाचाओं ने उन्हें गद्दी से हटा दिया| इसके बाद कई सालो तक उन्होंने अपना जीवन निर्वासन में बिताया| इसके बाद १९४६ में उन्होंने समरकंद शहर पर आक्रमण कर दिया और सात महीने बाद उस पर विजय प्राप्त कर ली| उसी समय उनके एक सैनिक सरगना ने फरगना पर अपना हक़ जमा लिया| इसके परिणाम स्वरुप जब वे फरगना हत्याने गए तब उनके सैनिको ने समरकंद में उनका साथ छोड़ दिया जिसके कारण उनके हाथो से दोनों राज्य चले गए| इसके बाद ३ साल उन्होंने अपनी सेना बनाई और समरकंद को दुबारा जीत लिया|
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Babar History In Hindi
जब उन्हें लगा की वे मध्य भारत में अपना साम्राज्य नहीं बसा पाएंगे तब उन्होंने भारत जाना उचित समझा| उस समय पुरे भारत की राजनीति बहुत ही डगमगाई हुई थी और दिल्ली के सुलतान बहुत से लड़ाईया भी हार गए थे| इसी वजह से वहाँ विकट स्थिति उतपन्न हो गई थी| उस समय दौलतराम इब्राहिम लोधी दिल्ली के सुलतान थे जो अपना राज्य सँभालने में बिल्कुल भी समर्थ नहीं थे| पंजाब के गवर्नर भी उनके शासन से असंतुष्ट थे| उनके चाचा आलम खान उस गद्दी के सही हकदार थे और बाबर को अच्छे से जानते थे| उन्होंने बाबर को दिल्ली आने का न्योता दिया| इसके कारण बाबर दिल्ली आए और वहा की सल्तनत को जीतकर कुछ वर्षो बाद पुरे भारत पर राज़ कर लिया| २६ नवम्बर १५३० को उनकी मृत्यु हो गईं जिसके बाद उनका राजपाठ हुमांयू ने संभाला |
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