Prasiddh Shayaro Ki Shayari – Mahaan Va Mashhoor Hindi Sher : इस दुनिया में एक से एक महान शायर हुए है कुछ ने अपने लेखों से बहुत ही ज्यादा ख्याति प्राप्त की और कुछ विश्व प्रसिद्ध ऐसे भी शायर हुए हैं जिन्होंने अपनी शायरियो से पूरी दुनिया में अपना नाम अमर करवा लिया | कई लोग इंटरनेट पर इन्ही प्रसिद्ध शायरों की शायरी के लिए सर्च भी करते हैं इसीलिए हम आपको कुछ बहुत प्रसिद्ध शायरों की शायरी से अवगत कराते हैं जिनके बारे में पढ़कर आप इन के बाद में भी जान सकते हैं और इनकी बखूबी रचनाओं के बारे में भी जान सकेंगे |
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मशहूर शायरों के शेर
तू बेवफ़ा है तो इक बुरी ख़बर सुन ले
कि इंतज़ार मेरा दूसरा भी करता है
हसीन लोगों से मिलने पे एतराज़ न कर
ये जुर्म वो है जो शादीशुदा भी करता है
मुनव्वर राणा
लोग हर मोड़ पर रुक – रुक के संभलते क्यों है
इतना डरते है तो फिर घर से निकलते क्यों है
मोड़ तो होता हैं जवानी का संभलने के लिये
और सब लोग यही आकर फिसलते क्यों हैं
राहत इन्दोरी
ये एहतियाते मोहब्बत तो जी नहीं जाती
के तेरी बात तुझसे कही नहीं जाती
तेरी निगाह भी कैसी अजब कहानी है
मेरे अलावा किसी से पढ़ी नहीं जाती
वसीम बरेलवी
दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह
फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह
मैनें तुझसे चाँद सितारे कब माँगे
रौशन दिल बेदार नज़र दे या अल्लाह…..
क़तील शिफ़ाई
वो हैं कि हर इक सांस पे इक ताजा सितम है,
हम हैं कि किसी बात का शिकवा नहीं करते।
बेखुद देहलवी
आशिक़ को देखते हैं दुपट्टे को तान कर
देते हैं हम को शर्बत-ए-दीदार छान कर
मीर अनीस
आँच आती है तिरे जिस्म की उर्यानी से
पैरहन है कि सुलगती हुई शब है कोई
नासिर काज़मी
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प्रसिद्ध हिंदी शायरों की शायरी
जिंदगी की राहों में, गम भी साथ चलते हैं,
कोई गम में हंसता है, कोई गम में रोता है।
खातिर गजनवी
इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद
कैफ़ी आज़मी
ज़माने पर भरोसा करने वालों,
भरोसे का ज़माना जा रहा है !
तेरे चेहरे में एैसा क्या है आख़िर,
जिसे बरसों से देखा जा रहा है !!!
इमरान प्रतापगढ़ी
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल
लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
अल्लामा इक़बाल
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है
बशीर बद्र
आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़’
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए
फ़िराक़ गोरखपुरी
महान शायरों के चंद शेर
आए हो घर से उठ कर मेरे मकाँ के ऊपर
की तुम ने मेहरबानी बे-ख़ानुमाँ के ऊपर
मीर तक़ी मीर
रफ़ीक़ों से रक़ीब अच्छे जो जल कर नाम लेते हैं
गुलों से ख़ार बेहतर हैं जो दामन थाम लेते हैं
ज़ाकिर खान
अगर चमन का कोई दर खुला भी मेरे लिए
सुमूम बन गई बाद-ए-सबा भी मेरे लिए
मोहसिन ज़ैदी
इरादे बाँधता हूँ, सोचता हूँ, तोड़ देता हूँ,
कहीं ऐसा न हो जाये, कहीं वैसा न हो जाये।
दुष्यंत कुमार
बड़े सुकून से डूबे थे डूबने वाले
जो साहिलों पे खड़े थे बहुत पुकारे भी
अमजद इस्लाम अमजद
आन के इस बीमार को देखे तुझ को भी तौफ़ीक़ हुई
लब पर उस के नाम था तेरा जब भी दर्द शदीद हुआ
इब्न-ए-इंशा शायरी
वो बात बात पे देता है परिंदों की मिसाल
साफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर ही छोड़ दो
अहमद फ़राज़
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मशहूर शायरी | शायर और शायरी
जिन्दगी निकली मुसलसल इम्तिहाँ-दर-इम्तिहाँ
जिन्दगी को दास्तां ही दास्तां समझा था मैं
जिगर मुरादाबादी
आ गई याद शाम ढलते ही
बुझ गया दिल चराग़ जलते ही
मुनीर नियाज़ी
अगर सच इतना ज़ालिम है तो हम से झूट ही बोलो
हमें आता है पतझड़ के दिनों गुल-बार हो जाना
अदा जाफरी
तन्हाई में जो चूमता है मेरे नाम के हरूफ फ़राज़
महफ़िल में वो शख्स मेरी तरफ देखता भी नहीं
मोहसिन नक़वी
और क्या चाहती है गर्दिश-ए-अय्याम कि हम
अपना घर भूल गए उन की गली भूल गए
जॉन एलिया
आ ही जाता वो राह पर ‘ग़ालिब’
कोई दिन और भी जिए होते
मिर्ज़ा ग़ालिब
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