Dhan Ki Kheti Kaise Kare : धान को चावल भी कहा जाता हैं| यह सभी महत्वपूर्ण खाद्यान्नों में से एक खाद्यान्न हैं| तीस साल पहले तक भारत वियतनाम धान की खेती करने वाला सबसे बड़ा देश था लेकिन तीस साल बाद भारत पूरी दुनिया में से सबसे बड़ा देश हैं जहा धान की खेती होती हैं| धान की खेती तीस साल में 50 प्रतिशत तक ज्यादा बढ़ गई हैं| भारत में उत्तर प्रदेश एक ऐसा शहर हैं जहा धान की खेती सबसे ज्यादा होती हैं| इसे धान शहर के नाम से भी जाना जाता हैं| अगर आपको धान की उन्नत खेती,धान की सीधी बिजाई,धान की अधिक पैदावार, धान की जैविक खेती, श्री विधि से खेती और धान के रोग के बारे में जान्ना हैं तो हमारे इस पोस्ट से जान सकते हैं|
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धान की उन्नत खेती तकनीकी
भारत एक डेवलॉपिंग कंट्री है| आज के समय में भारत में कई ऐसी खेती की तकनीक हैं जिसकी मदद से हम धान की खेती बड़ी आसानी से कर सकते हैं| आज के समय में कुछ ऐसी आधुनिक मशीने हैं जिनकी मदद से धान की फसल की सिचाई और खेती बहुत आसानी से और बहुत ही अच्छी तरह से हो जाती हैं| इसके लिए आपको कुछ चीज़ो का बातो का ध्यान होता हैं|
- 5 से 10 टन प्रति हेक्टेयर तक गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिटटी का उपयोग करने से फसल अच्छे से उपजाऊ होती हैं|
- ज्यादा से ज्यादा हरी खाद का उपयोग करे|
- फसल को कीटाणुओं से बचाने के लिए अच्छे फर्टीलिज़ेर केमिकल का उपयोग करना चाइये|
- अलग अलग फसल में उर्वरकों का इस्तमाल उसकी प्रजाति को पहचानकर करना चाइये|
- धान की फसल में जल की मात्रा का बहुत महत्व हैं|
- धान के पौध की कंसे निकलने तक जल की मात्रा 2 से लेकर 5 से.मी रखना लाभदायक होता हैं|
धान की नर्सरी
आज के समय में भारत में कई ऐसी बड़ी नर्सरी हैं जहा धान की खेती कई ज्यादा मात्रा में होती हैं जिसमे से सबसे ज्यादा नर्सरी उत्तर प्रदेश में हैं| यहां सबसे बड़ी नर्सरी हैं जिसके चावल पुरे दुनिया में एक्सपोर्ट होती हैं| परन्तु धान की नर्सरी बनाना आसान नहीं हैं| अगर आपको धान की नर्सरी लगानी हैं तो इन चीज़ो का होना आवश्यक हैं|
- धान की खेती के समय आपको जमीन पर 5 किग्रा0 नर पैतृक ,80 प्रतिशत अंकुरण वाला बीज और 20 किग्रा मादा पैतृक बोना आवश्यक हैं|
- अगर आपको धान की खेती करनी हैं तो जून और जुलाई के महीने में करनी लाभदायक होती हैं|
- आपको बीजो को बोन से पहले उसे नमक के पानी में भिगोना चाहिए इससे वो जल्दी से अंकुरित होता हैं|
- खेती वाली जमीन पर हमेशा नमी होनी चाइये|
- दो या तीन दिनों के समय सीमा में पौध की बुआई होनी आवश्यक हैं|
- अच्छी प्रकार की खाद और अन्य फर्टिलाइज़र का इस्तमाल लाभधायक होता हैं|
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धान की प्रजातियाँ
- प्रजाति पकने की अवधि उपज क्विं./ हेक्टेयर
- जेआर-75 80-85 20-25
- कलिंगा 80-85 20-25
शीघ्र पकने वाली प्रजातियां - दंतेश्वरी 100-105 30-35
- जेआर 201 100-105 25-30
- जेआर 345 100-105 25-30
- पूर्णिमा 105-110 30-35
मध्यम अवधि में पकने वाली प्रजातियां - आईआर 36 120-125 45-50
- आईआर 64 125-130 50-55
- महामाया 125-130 55-60
- एमटीयू 1010 115-120 40-45
- माधुरी 130-135 40-45
- पूसा बासमती 1 130-135 40-45
- पूसा सुगंधा 2 120-125 40-45
देर से पकने वाली प्रजातियां - स्वर्णा 145-150 5-60
- श्यामला 140-145 50-55
- महासुरी 145-150 45-50
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