त्यौहार

गोवत्स द्वादशी 2017 | बछ बारस

Gauvats Dwadashi : धार्मिक पुराणों में गौ माता को तीर्थ होने की बात कही गयी है हिन्दू धर्म में गायो को गौमाता का दर्ज़ा दिया जाता है और कोई भी पुण्य गौमाता की सेवा से बड़ा नहीं होता | धार्मिक पुराणों की मान्यताओं के अनुसार गायो को देवी देवताओ से भी ऊपर का दर्ज़ा दिया जाता है | गौमाता हमारी माता होती है इसीलिए उनकी सुरक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है क्योकि हमे गाय से प्राप्त होने वाली पांच चीज़े गौ का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी ऐसी है जो की हमारे लिए चमत्कारिक और लाभदायक होती है इसीलिए हम आपको गौवत्स द्वादशी के बारे में जानकारी देते है की इस द्वादशी के दिन हमे क्या करना चाहिए कैसे पूजा करनी चाहिए ?

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बछ बारस कब है 2020

Bach Baaras Kab Hai 2020 : गौवत्स द्वादशी को बछ बारस के नाम से भी जाना जाता है और यह हिन्दू पंचांग के अनुसार द्वादशी का दिन भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस के नाम से पड़ता है | इस साल यानि 2020 में बछ बारस 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी इसी दिन इसका पूजन किया जायेगा |

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गोवत्स द्वादशी व्रत विधि

गौवत्स द्वादशी का व्रत किस प्रकार से रखना है और आपको इसकी व्रत विधि बताने के लिए हमने आपको तरीके बताये है आप इन तरीको से इस द्वादशी का व्रत रख सकते है :

  1. द्वादशी के दिन सुबह उठ कर नित्य काम से निवृत्त होकर स्नान करे |
  2. फिर गाय व बछड़े को भी नहलाये |
  3. गाय व उसके बछड़े दोनों को नए वस्त्र उढ़ा दे |
  4. उनके तिलक करे और फूल माला पहनाये |
  5. गौमाता के पैरो में से धूल को उठा कर उस धूल से अपने तिलक लगा ले |
  6. गाय और बछड़े को भीगे हुए अंकुरित चने , अंकुरित मूंग , मटर , चने के बिरवे , जौ की रोटी आदि का भोग लगाए |
  7. उसके बाद अपने इष्टदेव व गाय व बछड़े की विधिपूर्वक पूजा करके गौवत्स द्वादशी की कथा सुने |
  8. इस दिन केवल आपको पूरे दिन में एक समय ही भोजन करना होता है और आप रात्रि के समय अपना उपवास तोड़ सकते है |

गोवत्स द्वादशी 2020 | बछ बारस

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बछ बारस की कथा

Bachh Baaras Ki Katha : प्राचीन समय की बात है उस समय सुवर्णपुर नगर में देवदानी नामक राजा राज्य करता था | उस राजा के दो पत्नियां थी पहली का नाम सीता तथा दूसरी का गीता नाम था | राजा के यहाँ गाय और एक भैंस भी पल रही थी जहाँ सीता का स्नेह भैंस के साथ ज्यादा था वही गीता का स्नेह गाय के साथ ज्यादा था जिसकी वजह से एक बार भैंस ने सीता से बोलै की गीता रानी का स्नेह गाय की तरफ अधिक होने की वजह से वह मुझसे ईष्र्या रखती है | तभी रानी सीता ने एक योजना बनायीं और उसने गाय के बछड़े को मार कर गेंहू के एक ढेर में छुपा दिया जिसकी खबर पूरे राज्य में किसी को नहीं लग पायी |
कुछ दिन बीत चुके थे उसी समय राजा अपने महल में खाना खा रहा था तभी वहां मांस और खून की बरसात होने लगी और राजा के सामने परसा हुआ खाना मल-मूत्र में बदल गया | राजा इस बात से बहुत अचंभित था तभी वहां आकाशवाणी हुई की हे राजा तेरी इस दशा की वजह तेरी पत्नी सीता के कर्म है उसने गाय के बछड़े को मार कर गेहूं के ढेर में छुपा दिया है |

गौवत्स द्वादशी का महत्व

Gauvatsa Dwadashi Ka Mahatv : राजा ने इस पाप का उपाय पूछा तब आवाज़ आयी की तुम्हे दिवाली से 4 दिन पहले पड़ने वाली द्वादशी को गौमाता के लिए व्रत रखना है | तब राजा वह व्रत पूरे विधि-विधान के साथ किया व्रत को करने के बाद रानी सीता ने जो बछड़ा मारा था वो बछड़ा जीवित हो उठा तभी राजा ने अपने पूरे राज्य में इस द्वादशी को गौवत्स द्वादशी के नाम से मशहूर कर दिया और तभी से यह व्रत मनाया जाता है |

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