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आदि गुरु शंकराचार्य के विचार

Aadi Guru Shankaracharya Ke Vichar : हिन्दू धर्म के प्रचारक गुरु शंकराचार्य जी हिन्दू धर्म के प्रचारक थे और उनका जन्म ईसा से पूर्व 8वी. शताब्दी में केरल राज्य में मालाबार के कालड़ी ग्राम में हुआ था और यह एक ब्राह्मण परिवार के थे इसीलिए उन्हें वेदो का ज्ञान था | उनके द्वारा सनातन धर्म को दुनियाभर में फ़ैलाने के लिए कई अनूठे कार्य किये जो आज भी हमारे समानतन धर्म के अमूल्य है इसके अलावा गुरु शंकराचार्य ने 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की | अपनी शिक्षा से हिन्दू धर्म का प्रचार और प्रसार किए इसीलिए हम आपको उनके विचारो से अवगत कराते है जिनकी मदद से आप उनके बारे में काफी कुछ जान सकते है |

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आदि शंकराचार्य Atma bodha

Aadi Shankracharya आत्मा बोध : यदि आप अदि गुरु शंकराचार्य के बारे में नहीं जानते तो हम आपको उनके कुछ महत्वपूर्ण विचार बताते है जिन विचारो को पढ़ कर आप काफी कुछ जाने यह आत्मा बोध आपको इनके बारे में भी बताते है :

हमें आनंद तभी मिलता है जब हम आनंद कि तलाश नही कर रहे होते है

मंदिर में वही पहुंचता है जो धन्यवाद देने जाता हैं, धन्यवाद मांगने नहीं

उस समय धर्म की किताबे पढ़ने का कोई मतलब नहीं जब तक आप सच का पता न लगा पाए, इसी तरह से अगर आप सच जानते है तो धर्मग्रंथ पढ़ने कि कोई जरूरत नहीं हैं

सत्य की परिभाषा क्या है ? सत्य की बस इतनी ही परिभाषा है की जो सदा था, जो सदा है और जो सदा रहेगा

जिस तरह किसी दीपक को चमकने के लिए दूसरे दीपक की ज़रुरत नहीं होती है ठीक उसी तरह आत्मा को जो खुद ज्ञान का स्वरूप है उसे और क़िसी ज्ञान कि आवश्यकता नही होती है

आत्मसंयम क्या है ? आंखो को दुनिया की चीज़ों की ओर आकर्षित न होने देना और बाहरी तत्वों को खुद से दूर रखना

अज्ञानता के कारण आत्मा सीमित लगती है लेकिन जब अज्ञान का अंधेरा मिट जाता है तब आत्मा के वास्तविक स्वरुप का ज्ञान हो जाता है. जैसे बादलों के हट जाने पर सूर्य दिखाई देने लगता है

आदि गुरु शंकराचार्य के विचार

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आदि गुरु शंकराचार्य के प्रेरणादायक विचार

Aadi Guru Shankaracharya Ke Prernadayak Vichar : आदि गुरु शंकराचार्य जी के ज्ञान की ऐसी मिसाल है जिन्होंने अपने ज्ञान से सनातन धर्म का प्रचार और प्रसार किया था इसीलिए उनके द्वारा कुछ ऐसे विचार कहे गए जो की हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है जिसकी मदद से हम सनातन धर्म के बारे में काफी कुछ जान सकते है :

मोह से भरा हुआ इंसान एक सपने कि तरह हैं, यह तब तक ही सच लगता है जब तक वह अज्ञान की नींद में सो रहे होते है. जब उनकी नींद खुलती है तो इसकी कोई सत्ता नही रह जाती है

तीर्थ करने के लिए किसी जगह जाने की जरूरत नहीं है. सबसे बड़ा और अच्छा तीर्थ आपका अपना मन है जिसे विशिष्ट रूप से शुद्ध किया गया हो

हर व्यक्ति को यह ज्ञान होना चाहिए कि आत्मा एक राज़ा के समान होती है जो शरीर, इन्द्रियों, मन, बुद्धि से बिल्कुल अलग होती है. आत्मा इन सबका साक्षी स्वरुप है

जब मन में सत्य जानने की जिज्ञासा पैदा हो जाती है तब दुनिया की बाहरी चीज़े अर्थहीन लगती हैं

सत्य की कोई भाषा नहीं है. भाषा तो सिर्फ मनुष्य द्वारा बनाई गई है लेकिन सत्य मनुष्य का निर्माण नहीं, आविष्कार है. सत्य को बनाना या प्रमाणित नहीं करना पड़ता

यह परम सत्य है की लोग आपको उसी समय तक याद करते है जब तक आपकी सांसें चलती हैं. इन सांसों के रुकते ही आपके क़रीबी रिश्तेदार, दोस्त और यहां तक की पत्नी भी दूर चली जाती है

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