आज के समय में भारत में सबसे ज्यादा उगने वाली फसल गन्ने की हैं| भारत में हर साल करीब 150 से लेकर 250 लाख टन तक गन्ने की खेती होती हैं| गन्ना एक प्रकार की घास हैं जिसके तने में मीठा पदार्थ होता हैं| गन्ने की खेती पुरे 12 महीने होती हैं| इसकी खेती इसलिए भी ज्यादा होती हैं क्योकि इसका उपयोग अन्य कार्यो में भी बहुत होता हैं| महाराष्ट्र,उत्तर प्रदेश और उड़ीसा ऐसे शहर हैं जहां गन्ने की खेती बहुत ज्यादा होती हैं| आज इस पोस्ट में हम आपको गन्ने की खेती कैसे करे, प्रति एकड़ 100 टन गन्ना, बिजनौर गन्ने की खेती, गन्ना बोने की विधि, गन्ने की प्रजाति 0238, और गन्ने की खेती इन हिंदी में इसकी जानकारी देंगे|
यह भी देंखे :धान की खेती कैसे करे – उन्नत तकनीकी विधि
गन्ने की जैविक खेती
भारत में गन्ने की खेती दुसरे स्थान पर सबसे ज्यादा उगने वाली फसल है| इससे पहले चावल की फसल सबसे ज्यादा होती हैं| भारत उन शुमार देशो में से एक आता हैं जिसमे गन्ने की खेती सबसे ज्यादा होती हैं| भारत में उगने वाला गन्ना बाहर के देशो में भी एक्सपोर्ट होता हैं| इसके अंदर के मीठे रस का अन्य वस्तुओ में भी उपयोग होता हैं|
इससे चीनी,गुड़,बूरा,ग्लूकोस और कई प्रकार की मीठे प्रोडक्ट भी बनाए जाते हैं| इसकी खेती करने का सही समय फरवरी से लेकर मार्च तक और अक्टूबर से लेकर नवम्बर तक हैं| बीते समय से यह देखा गया हैं की गन्ने की खेती दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही हैं जिसकी वजह बीते समय में इसकी खेती करने वाले किसानो का मुनाफा हैं|
गन्ने की ट्रेंच विधि – ट्रेंच विधि से गन्ना बुवाई
आज के समय में वैसे तो कई ऐसी आधुनिक तकनीक हैं जिससे किसान इस्तेमाल करके लम्बे और अच्छे गन्ने की खेती कर सकते हैं लेकिन भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली तकनीक ट्रेंच विधि हैं| इस तकनीक को भारत के किसानो ने ही अपनाया हैं| इसका ईजाद होने से पहले भारत के किसान परम्परागत तरकनीक से खेती करते थे | ट्रेंच विधि से खेती करना किसानो को रास इसलिए आ रहा हैं क्योकि-
- इसमें गन्ने की खेती दो कतारों में होती हैं झा 4 से 5 फुट तक का अंतर होता हैं|
- इसकी मदद से पानी और खाद की बचत हियति हैं|
- इससे गन्नो की लमाइ और मोटाई अच्छी होती हैं|
- इसकी वजह से किसानो के कमाई में बढ़त आती हैं|
- इसकी मदद से खेती करना आसान हो गया हैं|
- इससे खेती की लागत में कमी होती हैं|
यह भी देंखे :मशरूम की खेती कैसे करे
गन्ने की प्रजाति
विभिन्न जनपदों हेतु स्वीकृत गन्ना प्रजातियों की तालिका वर्ष 2014-15 | ||||
क्रम संख्या | नाम क्षेत्र | जनपद | शीघ्र पकने वाली प्रजातियॉ | मध्य देर से पकने वाली प्रजातियॉ |
1 – | सभी क्षेत्र | प्रदेश के समस्त गन्ना उत्पादक जनपद | को०शा० 8436‚ को०शा० 88230‚ को०शा० 95255‚ को०शा०96268‚ को०शा० 03234‚ यू०पी० 05125 को०से० 98231 को०शा० 08272 को०से० 95422 को० 0238‚ को० 0118‚ को० 98014 |
को०शा० 767‚ को०शा० 8432‚को०शा० 97264‚ को०शा० 96275‚ को०शा० 97261‚ को०शा० 98259‚ को०शा० 99259‚ को०से० 01434‚ यू०पी० 0097‚ को०शा० 08279‚ को०शा० 08276‚ को०शा० 12232‚को०से० 11453‚ को० 05011 |
2- मध्य क्षेत्र |
लखनऊ
बरेली मुरादाबाद |
लखनऊ लखीमपुर, सीतापुर, हरदोई रायबरेली, कानपुर कानपुर-देहात फर्रखाबाद, उन्नाव।
बरेली, पीलीभीत शाहजहॉपुर, बदॉयू अलीगढ़, एटा मथुरा। मुरादाबाद, सम्भल अमरोहा, रामपुर तथा बिजनौर। |
सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत प्रजातियों के साथ-साथ को०जा 64‚ को०से० 01235‚ को०लख० 9709‚ को० 0237‚ को० 0239‚ को० 05009‚ को०पी०के० 05191 | सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत प्रजातियों के साथ-साथ को०शा० 94257‚ को०शा० 96269‚ यू०पी० 39‚ को०पन्त० 84212‚ को०ह० 119‚ को०पन्त 97222‚ को०जे० 20203‚ को० 0124‚ को०ह० 128 |
3- पूर्वी क्षेत्र |
देवरिया, गोरखपुर
देवीपाटन, फैजाबाद |
देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़, मऊ, बलिया। गोरखपुर, महराजगंज, बस्ती,सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर।गोण्डा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच। फैजाबाद, बाराणसी भदोही, जौनपुर गाजीपुर, बाराबंकी अम्बेडकरनगर सुल्तानपुर, अमेठी इलाहाबाद, मिर्जापुर आदि। |
सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत प्रजातियों के साथ-साथ को०से० 01235‚ को० 87263‚ को० 87268‚ को० 89029‚ को०लख० 94184‚ को० 0232‚ को०से० 01421 | सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत प्रजातियों के साथ-साथ को०से० 96436‚ को० 0233‚ को०से० 08452 |
4- सभी जलप्लावित क्षेत्रों के लिए स्वीकृत प्रजातियॉ। | यू०पी० 9530 एवं को०से० 96436 |
Contents
