Krishna Ko Bansuri Kisne Di : भगवान श्री कृष्णा जी जो की भगवान् विष्णु के आंठवे अवतार थे जिनके पैदा होने का उद्देश्य धरती पर से सभी दानवो और राक्षसों को खत्म करना था | उनके जन्म को हिन्दू धर्म में कृष्णा जन्माष्टमी के रूप में मनाते है अपने कई बार श्री कृष्णा की फोटो या मूर्ति में देखा होगा की वह हमेशा अपने हाथो में एक बांसुरी लेकर खड़े होते है और उसी बांसुरी को बजाते है | क्या आप जानते है की उनके पास बांसुरी कहाँ से आयी ? कृष्णा और बांसुरी के पीछे क्या कथा है ? इसके पीछे अलग-2 प्रसंग बताये गए लेकिन हम आपको पुराणों के अनुसार बताई गयी कथा के अनुसार जानकारी देते है की श्री कृष्णा और बांसुरी के पीछे क्या रहस्य है |
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शिव जी द्वारा दी गयी बांसुरी का रहस्य
Shiv Ji Dwara Di Gayi Bansuri Ka Rahasya : जैसा कि हम सभी जानते है कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग में हुआ था और वह भगवान विष्णु जी के अवतार है इसीलिए जब वह पैदा हुए तब अनेक देवी देवता उनसे मिलने के लिए धरती पर आये | शिव जी भी उन्ही से मिलने के लिए धरती पर आये लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी की वह कृष्ण को ऐसा क्या उपहार दे जिसे की वह बचपन से जवान तक अपने साथ रख सके | शिव जी के पास महान शक्तिशाली ऋषि दधीचि की शक्तिशाली के शरीर की हड्डियां पड़ी थी क्योकि उन्होंने धर्म की रक्षा हेतु अपने शरीर की सारी हड्डियां दान कर दी थी | तो भगवान् महादेव ने उस हड्डी की बांसुरी बना कर बालकृष्ण को भेंट कर दी तब से लेकर अब तक वह बांसुरी भगवान् श्री कृष्णा के पास रहती है |
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बबूल के पेड़ से मिली बांसुरी की कथा
Babool Ke Ped Se Mili Bansuri Ki Katha : दूसरी कथा के अनुसार एक एक कथा यह भी है की एक बार भगवान कृष बगीचे में टहल रहे थे और वहां उस बगीचे के सभी फूलो को बेहद प्यार करते थे उनके साथ क्रीड़ा भी करते थे जिसकी वजह से वहां के सारे पुष्प भी उनसे प्रेम करते थे | लेकिन उसी बगीचे में एक बबूल का पेड़ और था जो की यह देख कर नाखुश रहता था की कृष्णा केवल पुष्पों को ही प्यार करते है |
तभी उसी दिन उस बबूल के पेड़ ने भगवान् कृष्ण से बोल दिया की हे प्रभु आप जितना प्यार इन पुष्पों को करते है उतना ही प्यार मुझे क्यों नहीं करते ? इतना सुनने के बाद कृष्ण जी बोले ‘तुमको भी प्यार मिल सकता है लेकिन उसके लिए तुम्हे अत्यंत दुःख झेलने पड़ेंगे’ तब वह बबूल का पेड़ बोलै आपके द्वारा दिया गया हर दुःख मेरे लिए हज़ार सुखो के सामान है तभी कृष्णा जी ने उस पेड़ से एक लक्स्डइ तोड़ी जिससे की वह बबूल का पेड़ दर्द की वजह से कराह उठा | और श्रीकृष्ण ने उस लकड़ी से एक बांसुरी बनाई जिसे की बबूल के पेड़ के प्यार की बदौलत अपने साथ रखा |
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