इतिहास

कुंभकर्ण से जुडी कुछ रोचक बातें

Kumbhkarn Se Judi Kuch Rochak Baate : रामायण का एक प्रमुख पात्र कुम्भकर्ण भी था जो की रावण का छोटा भाई था लेकिन वह रावण का भाई तो था लेकिन उससे अलग था राक्षस प्रवृत्ति का होने पर भी वह इन सब से दूर रहता था | कुंभकर्ण को पाप-पुण्य और धर्म-कर्म से कोई लेना-देना नहीं था इसीलिए वह अपने भाई रावण से बिलकुल अलग था | कुम्भकर्ण एक ऐसा राक्षस था जो की अकेला ही तीनो लोको में हाहाकार मचा सकता है उसे ब्रह्मा जी द्वारा छह महीने सोने का वरदान प्राप्त हुआ था | इसीलिए हम आपको कुम्भकर्ण के बारे में कुछ रोचक जानकारी देते है जो की आपके लिए बहुत जरुरी है जिसकी मदद से आप कुम्भकर्ण के बलवान होने तथा उनके बारे में कुछ अनसुनी बाते जान सकते है |

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कुम्भकरण की कहानी

Kumbhakarn Ki Kahani : कुम्भकर्ण की कहानी जान कर आप उनसे जुडी हुई कुछ महत्वपूर्ण बाते जान सकते है जो बाते आपके लिए अनसुनी है और काफी रोचक भी है |

1. छः महीने क्यों सोता था
क्या अपने कभी सोचा है की कुम्भकर्ण छः महीने क्यों सोता था ? कुम्भकरण, रावण और विभीषण तीनो ने बहगवां ब्रह्मा को खुश रखने के लिए उनकी तपस्या की जब वह खुश हुए तब उन्होंने देखा की जिस तरह से कुम्भकर्ण खाता है अगर वह जिंदगी भर ऐसे ही खाता रहा तो यह सृष्टि जल्द ही ख़त्म हो जाएगी | इसीलिए उन्होएँ माँ सरस्वती से आग्रह किया की वे कुम्भकर्ण की बूढी भ्रमित करदे ऐसे करने से कुम्भकर्ण ने ब्रह्मा जी से उसने छः महीने सोने का वरदान मन लिया |

2. कुम्भकर्ण बलवान था
रामचरितमानस में लिखा है की पूरी सृष्टि में कुम्भकर्ण से टक्कर लेने वाला कोई नहीं था और वह बहुत खाता था और लगातार छः महीने सोता था | वह मदिरा पीकर पुरे छः महीने सोता था और जब कभी जगता था तो तीनो लोको में हाहाकार मच जाता था |

कुंभकर्ण से जुडी कुछ रोचक बातें

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3. कुम्भकर्ण को दुःख कब हुआ था
जब राम की सेना ने लंका पर आक्रमण कर दिया तो रावण के महारथी युद्ध में धूल चाट चुके थे तब रावण ने अपने सैनिको से कुम्भकर्ण को जगाने का आदेश दिया | कुम्भकर्ण के जागने के बाद रावण ने राम के लंका पर आक्रमण के बारे में बताया और सीता हरण उसी ने किया है तब कुम्भकर्ण को बहुत दुःख हुआ और उन्होंने अपने भाई को समझाया की अपने जगत जननी का हरण करने की कोशिश कैसे की |

4. रावण ने जब युद्ध किया
कुम्भकर्ण अच्छी तरह से जानते थे की राम भगवान विष्णु के अवतार थे और उनसे युद्ध में जीतना नामुमकिन था | इसीलिए उन्होएँ पहले रावण को बहुत समझाया लेकिन भाई धर्म का मान रखने की वजह से और श्रीराम द्वारा मुक्ति पाने के लिए वह श्रीराम से युद्ध करने के लिए गए अंत में भगवान श्रीराम का बाण लगते ही उन्हें मुक्ति मिल गयी |

5. कुम्भकर्ण को नारद द्वारा मिला तत्वज्ञान
रावण के अधार्मिक कार्यो में कुम्भकर्ण का कोई भी सहयोग नहीं था क्योकि उसका पाप-पुण्य, धर्म और कर्म से किसी प्रकार का कोई लेना देना नहीं था वह छः महीने लगातार सोता था और जिस दिन जगता था वो केवल खाता था और पूरा दिन उसी में निकल जाता था और खा कर फिर सो जाता था | इसीलिए उसके राक्षस प्रवृत्ति होने की वजह से उसने किसी तरह का कोई पाप नहीं किया इसकी वजह से नारद ऋषि ने उन्हें खुस तत्वज्ञान का उपदेश भी दिया था |

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