इतिहास

कहानी राजा हरिश्चंद्र की

Kahani Raja Harishchandra Ki : राजा हरिश्चन्द्र जो बहुत बड़े सत्यवादी थे वे हमेशा सत्य की रह पर चलते थे आज हम आपको हरिश्चंद्र जी के बारे में जानकारी देते है यानि उनकी कहानी की क्यों उन्हें महान कहा जाता है ? राजा हरिश्चन्द्र जी की हस्ती जो हमारे सामने है वह किसी के सामने छुपी नहीं है वैसे तो हमारे कई महापुरुष हुए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, शिवाजी और महाराणा प्रताप और अन्य भी कई | लेकिन हमारे राजा बीच सतवादी राजा हरिश्चन्द्र ने अपनी जो छाप छोड़ी वो काबिले तारीफ है आज हम आपको उन्ही के जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देते है जिससे की आप उस हस्ती के बारे में काफी कुछ जान सकते है |

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राजा हरिश्चंद्र फिल्म

हमारे देश के फ़िल्मी क्षेत्र में भी राजा हरिश्चन्द्र की ऊपर फिल्म बन चुकी है जो की बहुत प्रसिद्ध कलाकरो द्वारा निर्मित है तो आप उस फिल्म को इस लिंक के माध्यम से https://www.youtube.com/watch?v=3Zevm0Zjc-k देख सकते है और जान सकते है राजा हरिश्चन्द्र की हस्ती के बारे में |

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कहानी राजा हरिश्चंद्र की

राजा हरिश्चंद्र की कहानी हिंदी में

सत्यवादी हरिश्चन्द्र जी अयोध्या के सूर्यवंशी राजा थे इनके पिता का नाम सत्यव्रत था ये एक सत्यवान व्यक्ति थे और अपनी सत्यनिष्ठा पर अटल रहते थे जिसकी वजह से इन्हें कई कष्ट झेलने पड़े शादी के बाद तक ये कई दिनों तक पुत्रविहीन रहे परंतु कुलगुरु वशिष्ट के उपदेशानुसार इन्होंने वरुणदेव की उपासना की तब जाकर उनके पुत्र इस शर्त पर हुआ की उस पुत्र की बलि हरिश्चंद्र यज्ञ में करनी पड़ेगी इन्होंने अपने पुत्र का नाम रोहिताश रखा | हरिश्चंद्र जी को राजा द्वारा जलोदर रोग होने का श्राप दिया गया |

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सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कथा

किन्तु रोग से भयभीत होकर छुटकारा पाने के लिए वे राजा वशिष्ठ के पास वरुणदेव को प्रसन्न करने के लिए उनके द्वार पहुचे और इंद्रा ने रोहिताश को वन में भेज दिया राजा ने वशिष्ठ जी की सम्मति से अजीगर्त नामक एक दरिद्र ब्राह्मण के बालक शुन:शेपको खरीदकर यज्ञ की तैयारी की लेकिन जब बलि देने का समय आया तो शमिता ने कहा की मैं केवल पशु की बलि देता हु मनुष्य की नहीं देता | और फिर विश्वामित्र ने आकर शुन:शेप को एक मंत्र बताया और हरिश्चन्द्र इसका जाप करने लगे मंत्र के जाप से वरुणदेवता स्वयं प्रकट हुए और बोले, हरिश्चन्द्र तुम्हारा यज्ञ पूरा हो गया इस ब्राह्ण कुमार को छोड़ दो और इसकी वजह से उन्होंने उन्हें जलोदर रोग से भी मुक्त कर दिया |

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