Sant kabirdas ka Jivan Parichay – संत कबीर बायोग्राफी इन हिंदी लैंग्वेज : महान श्री कबीर दास एक प्रसिद्ध कवि थे| उनके पद और कविताई पुरे भारत वर्ष में मशहूर हैं| भारत के सभी विद्यालय में संत कबीर दास जी के श्लोक के बारे में पढाये जाते हैं| जब भी विश्व भर के महान कवियों की बात आती हैं तो कबीर दास का नाम भी आता हैं| वे एक महान व्यक्तित्व के इंसान थे| उनकी व्यक्तित्व की पहचान कोई भी उनकी कविताओं और पद से आसानी से कर सकते हैं|
अगर आपको संत कबीर दास के बारे में और भी कई रोचक बाते जाननी हैं तो हमारे इस पोस्ट से जान सकते है| आज हम आपको हमारे इस पोस्ट में कबीर दास biography in hindi पीपीटी, sant kabir biography in hindi PDF, kabir ji Biography, Kabir biography in Short, कबीर पुस्तकें, कबीर नीरू, कबीर बायोग्राफी शार्ट, कबीरदास का साहित्यिक परिचय, में आपको बताएंगे|
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Kabir Biography In Short
हमारे इस पोस्ट में कबीर की रचनाओं का संकलन,कबीरदास का साहित्यिक परिचय,कबीर दास जी के दोहे अर्थ सहित,कबीर दास जी के दोहे अर्थ सहित आदि के बारे में बताया गया हैं| जिन्हे पढ़कर आपको बहुत सी रचनात्मक बाते पता चलेगी|तो आइये अब हम आपको संत कबीर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते, जीवनी, और कथन के बारे में बताएंगे जिसे पढ़कर आपको उनके बारे में और जान्ने में मदद मिलेगी| संत कबीर दास का पूरा नाम भगत कबीर था| उनका जन्म वाराणसी की पावन भूमि में हुआ था| उनके जन्म १४५५ में हुआ था जो की आज के समय में उत्तर प्रदेश हैं| उनके माता और पिता के नाम के बारे में वसे तो कोई कथन नहीं हैं लेकिन संत कबीर का पालन पोषण जुलाहे दंपत्ति ने किआ था जिनका नाम नीरू और नीमा था|
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कबीर दास जी की जीवन परिचय का वर्णन कीजिये
बताया जाता हैं की कबीर दास की शादी लोई नाम की महिला से हुई थी| उनकी दो संतान भी थी जिसमे एक बेटा और एक बेटी थी| बेटे का नाम कमाल था और बेटी का नाम कमाली था| वे सूत का कारोबार करते थे| जिसमे सूत काटकर कपडे बनाने का काम करते थे|कबीरदास की भाषा शैली सधुक्कड़ी थी जो की हिंदी की सभी भाषा का मेल हैं|वे बहुत धार्मिक प्रवर्ति के इंसान थे| धार्मिक होने के कारण उन्होंने मोह माया छोडकर संन्यास लेकर कवी बनने का निर्णय लिया |
कबीर के इतना महान होने का एक विशेष कारण उनके गुरु भी थे| कबीर के गुरु के बारे में वैसे तो बहुत से कथन हैं लेकिन एक बार उनकी भेट संत आचार्य रामानंद से हुई| उनकी बाते सुनकर वे इतने प्रसन्न हुए की कबीर ने उन्हें गुरु माने का निर्णय लिया| परन्तु हर सिक्के के दो पहलू होते हैं| आचार्य जी ने उनका गुरु बनने से मना कर दिया| पर उन्होंने हार नहीं मानी| एक दिवस जब आचार्य स्नान करने गंगा नदी में जा रहे थे| तो कबीर गंगा किनारे मूर्छित होने का स्वांग करने लगे| जसे ही आचार्य जी आई तो उनका पैर कबीर पर पड़ा और उनके मुख से राम राम निकला| उसी छड़ से उन्होंने आचार्य रामानंद को अपना गुरु मान लिया|
कबीर की रचनाए
वसे तो संत कबीर की बहुत सी मशहूर रचनाए हैं जिनमे से कुछ का वर्णन हम करेंगे|
- चेत करु जोगी, बिलैया मारै मटकी
- साधु बाबा हो बिषय बिलरवा, दहिया खैलकै मोर
- हाँ रे! नसरल हटिया उसरी गेलै रे दइवा
- बड़ी रे विपतिया रे हंसा, नहिरा गँवाइल रे
- सोना ऐसन देहिया हो संतो भइया / कबीर
- का लै जैबौ, ससुर घर ऐबौ
- अँधियरवा में ठाढ़ गोरी का करलू
- रहली मैं कुबुद्ध संग रहली
- पाँच ही तत्त के लागल हटिया
- धोबिया हो बैराग
- तोर हीरा हिराइल बा किचड़े में
- घर पिछुआरी लोहरवा भैया हो मितवा
- सुगवा पिंजरवा छोरि भागा
- मोरी चुनरी में परि गयो दाग पिया
- मुनियाँ पिंजड़ेवाली ना, तेरो सतगुरु है बेपारी
- हंसा चलल ससुररिया रे, नैहरवा डोलम डोल
- अबिनासी दुलहा कब मिलिहौ, भक्तन के रछपाल
- ननदी गे तैं विषम सोहागिनि
- सतगुर के सँग क्यों न गई री
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