Ehsan Danish Shayari : एहसान दानिश जी उर्दू के महान शायरों में से एक है और इनके बारे में जितनी तारीफ की जाये वह कम है पहले हम आपको दानिश जी के बारे में बताते है की इनका जन्म कान्धला में 1914 में हुआ था यह एक पाकिस्तानी शायर, कवि व लेखक थे और इसी क्षेत्र में इन्होने अपना नाम रोशन किया इनकी मृत्यु 22 मार्च 1982 को हुआ था | इसीलिए हम आपको एहसान जी के द्वारा लिखी गयी कुछ बेहतरीन शेरो-शायरियो व गजले बताते है जिनकी मदद से आप इनके बारे में काफी जानकारी पा सकते है |
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Jahan E Danish By Ehsan Danish
जहान इ दानिश बय एहसान दानिश : अगर आप दानिश जी के कुछ बेहतरीन जहान इ दानिश जी से ली गयी शायरियां जानना चाहते है तो इसके लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी इस जानकारी के माध्यम से जान सकते है :
किस किस की ज़बाँ रोकने जाऊँ तिरी ख़ातिर
किस किस की तबाही में तिरा हाथ नहीं है
हम चटानें हैं कोई रेत के साहिल तो नहीं
शौक़ से शहर-पनाहों में लगा दो हम को
मैं जिस रफ़्तार से तूफ़ाँ की जानिब बढ़ता जाता हूँ
उसी रफ़्तार से नज़दीक साहिल होता जाता है
शोरिश-ए-इश्क़ में है हुस्न बराबर का शरीक
सोच कर जुर्म-ए-तमन्ना की सज़ा दो हम को
ख़ाक से सैंकड़ों उगे ख़ुर्शीद
है अंधेरा मगर चराग़-तले
हाँ आप को देखा था मोहब्बत से हमीं ने
जी सारे ज़माने के गुनहगार हमीं थे
आज उस ने हँस के यूँ पूछा मिज़ाज
उम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद आ गए
हुस्न को दुनिया की आँखों से न देख
अपनी इक तर्ज़-ए-नज़र ईजाद कर
कौन देता है मोहब्बत को परस्तिश का मक़ाम
तुम ये इंसाफ़ से सोचो तो दुआ दो हम को
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Ehsan Danish Urdu Poetry
एहसान दानिश उर्दू पोएट्री : अगर आप एहसान जी के उर्दू के ऊपर कुछ पोएट्री जानना चाहते है तो उसके लिए आपको नीचे बताई गयी पोएट्री व शायरियो को पढ़ कर जान सकते है :
और कुछ देर सितारो ठहरो
उस का व’अदा है ज़रूर आएगा
हम हक़ीक़त हैं तो तस्लीम न करने का सबब
हाँ अगर हर्फ़-ए-ग़लत हैं तो मिटा दो हम को
मक़्सद-ए-ज़ीस्त ग़म-ए-इश्क़ है सहरा हो कि शहर
बैठ जाएँगे जहाँ चाहो बिठा दो हम को
सता लो मुझे ज़िंदगी में सता लो
खुलेगा पस-ए-मर्ग एहसान क्या था
लोग यूँ देख के हँस देते हैं
तू मुझे भूल गया हो जैसे
सुनता हूँ सुरंगों थे फ़रिश्ते मिरे हुज़ूर
मैं जाने अपनी ज़ात के किस मरहले में था
मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी
मुझे कैसे गवारा हो गई थी दुश्मनी अपनी
ब-जुज़ उस के ‘एहसान’ को क्या समझिए
बहारों में खोया हुआ इक शराबी
बला से कुछ हो हम ‘एहसान’ अपनी ख़ून छोड़ेंगे
हमेशा बे-वफ़ाओं से मिलेंगे बा-वफ़ा हो कर
Ehsan Danish Facebook
एहसान दानिश फेसबुक : अगर आप फेसबुक के लिए दानिश जी की शायरियां जानना चाहते है तो इसके लिए आप नीचे बताई गयी जानकारी के माध्यम से पढ़ सकते है :
वफ़ा का अहद था दिल को सँभालने के लिए
वो हँस पड़े मुझे मुश्किल में डालने के लिए
रहता नहीं इंसान तो मिट जाता है ग़म भी
सो जाएँगे इक रोज़ ज़मीं ओढ़ के हम भी
किसे ख़बर थी कि ये दौर-ए-ख़ुद-ग़रज़ इक दिन
जुनूँ से क़ीमत-ए-दार-ओ-रसन छुपाएगा
दमक रहा है जो नस नस की तिश्नगी से बदन
इस आग को न तिरा पैरहन छुपाएगा
ये कौन हँस के सेहन-ए-चमन से गुज़र गया
अब तक हैं फूल चाक गरेबाँ किए हुए
ज़ब्त भी सब्र भी इम्कान में सब कुछ है मगर
पहले कम-बख़्त मिरा दिल तो मिरा दिल हो जाए
मरने वाले फ़ना भी पर्दा है
उठ सके गर तो ये हिजाब उठा
दिल की शगुफ़्तगी के साथ राहत-ए-मय-कदा गई
फ़ुर्सत-ए-मय-कशी तो है हसरत-ए-मय-कशी नहीं
कुछ लोग जो सवार हैं काग़ज़ की नाव पर
तोहमत तराशते हैं हवा के दबाव पर
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Ehsan Danish Poems
एहसान दानिश पोयम्स : एहसान दानिश जी उर्दू के एक बहुत बड़े पोएट भी है जिनका नाम विश्व-विख्यात है इसीलिए अगर आप उनकी कुछ पोयम्स जानना जानना चाह रहे है तो नीचे बताई गयी जानकारी के अनुसार पढ़ सकते है :
‘एहसान’ ऐसा तल्ख़ जवाब-ए-वफ़ा मिला
हम इस के बाद फिर कोई अरमाँ न कर सके
तुम सादा-मिज़ाजी से मिटे फिरते हो जिस पर
वो शख़्स तो दुनिया में किसी का भी नहीं है
‘एहसान’ अपना कोई बुरे वक़्त का नहीं
अहबाब बेवफ़ा हैं ख़ुदा बे-नियाज़ है
न जाने मोहब्बत का अंजाम क्या है
मैं अब हर तसल्ली से घबरा रहा हूँ
कुछ अपने साज़-ए-नफ़स की न क़द्र की तू ने
कि इस रबाब से बेहतर कोई रबाब न था
ये उड़ी उड़ी सी रंगत ये खुले खुले से गेसू
तिरी सुब्ह कह रही है तिरी रात का फ़साना
फ़ुसून-ए-शेर से हम उस मह-ए-गुरेज़ाँ को
ख़लाओं से सर-ए-काग़ज़ उतार लाए हैं
ये उजालों के जज़ीरे ये सराबों के दयार
सेहर-ओ-अफ़्सूँ के सिवा जश्न-ए-तरब कुछ भी नहीं
उट्ठा जो अब्र दिल की उमंगें चमक उठीं
लहराईं बिजलियाँ तो मैं लहरा के पी गया
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