
चैत्र नवरात्री (Navaratri) : हिन्दू धर्म में आदशक्ति नाम से प्रसिद्ध माँ दुर्गा की आराधना के लिए ही हम चैत्र नवरात्रे मनाते है यह नवरात्रे साल में दो बार पड़ते है पहले ये चैत्र के माह में मनाये जाते है और दूसरे शारदीय नवरात्र आश्विन माह में मनाया जाता है इन नवरात्रो में पुरे नौ दिन होते है इन पुरे नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपो की आरती की जाती है और हिन्दू धर्म में युवक-युवतियां इस पुरे नौ दिन माँ दुर्गा के लिए पुरे नौ दिन उपवास रखती है यह बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार होता है यह त्यौहार चैत्र माह में होली के बाद और बसंत ऋतू की समाप्ति पर आता है आज हम आपको इस पुरे व्रत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते है |
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Navratri 2017 Date April : नवरात्री के मौके पर जाने की किस तारिख को किस देवी की उपासना करनी है नवरात्रे चैत्र माह में 28 मार्च से शुरू हो रहे जिसमे की 9 दिन बाद यानि 5 अप्रैल को राम नवमी मनाई जाती है |
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नवरात्रि पूजा विधि इन हिंदी : माँ दुर्गा के इन नौ रूपो की आराधना पूरे नवरात्र होती है जिसमे की हमें पूरे नौ दिन माँ की पूजा करनी है और रात्रि में जागरण का आयोजन करना होता है जिससे की देवी माँ प्रसन्न होती है माँ दुर्गा को प्रसन करने के लिए विधि पूर्वक हर दिन सुबह नित्य कार्य के बाद स्नान करे और मंदिर में जाकर उनकी वंदना करे और बेहतर परिणाम के लिए उपवास भी रखे | नवरात्र में व्रत रखने से मनोकामना भी पूरी हो जाती है इन नौ दिन माँ दुर्गा के नौ रूपो की पूजा होती है जिनमे से हर दिन अलग-2 रूपो की पूजा की जाती है इनमे से नौ देवियाँ इस प्रकार है :
- शैलपुत्री – इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है। (28 मार्च 2017, मंगलवार )
- ब्रह्मचारिणी – इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी। (29 मार्च 2017, बुधवार)
- चंद्रघंटा – इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली। (30 मार्च 2017, गुरुवार )
- कूष्माण्डा – इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है। (31 मार्च 2017, शुक्रवार )
- स्कंदमाता – इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता। (1 अप्रैल 2017, शनिवार )
- कात्यायनी – इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि। (2 अप्रैल 2017, रविवार)
- कालरात्रि – इसका अर्थ- काल का नाश करने वली। (3 अप्रैल 2017, सोमवार)
- महागौरी – इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां। (4 अप्रैल 2017, मंगलवार)
- सिद्धिदात्री – इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली। (5 अप्रैल 2017, बुधवार)
नवरात्रि स्टोरी : लंका युद्ध के समय रावण वध करने के लिए भगवान श्रीराम को ब्रह्मा जी द्वारा चंडी देवी का पूजन करने को कहा गया जिसमे की हवन हेतु दुर्लभ एक सौ आठ नीलकमल की व्यवस्था करने को कहा गया | लेकिन उसी समय रावण भी देवी चंडी के लिए अमरता के लोभ में विजय कामना में चंडी कामना पाठ करना आरम्भ कर दिया | यह बात इंद्र देव ने पवन देव के माध्यम से भगवान राम तक पहुचाई और चंडी पाठ यथासभंव पूर्ण होने का परामर्श दिया | और यहाँ राम के पूजा स्थल में रावण की मायावी शक्ति से 1 नीलकमल गायब हो गया और राम का संकल्प भी टूट चूका था क्योंकि उन्हें भय था की कही देवी माँ रुष्ट न हो जाए क्योंकि नीलकमल बहुत दुर्लभ होता है और उसकी व्यवस्था तुरंत करना अत्यंत असम्भव है क्योंकि राम जी को लोग ‘कमलनयन नवकंच लोचन’ कहते है तो वो सोचने लगे की क्यों न वो अपना एक नेत्र दान कर दे तो उनका संकल्प पूरा हो जायेगा |
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नवरात्रि हिस्ट्री इन हिंदी : तो प्रभु राम ने जैसे ही अपना बाण अपनी नेत्र निकलने के लिए निकाला तभी वह देवी प्रकट हुई और राम का हाथ रोक कर बोली – राम मै प्रसन्न हूँ और उन्हें विजय होने का आशीर्वाद दिया | और वही रावण के चंडी पाठ के पूजा स्थल में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों के पास हनुमान बालक का रूप धारण कर के गए और उनकी नादान हरकतो को ब्राह्मण समझ नही पाए और उन्होंने निःस्वार्थ समझने लगे और उनसे वर मांगने को कहा इस पर हनुमान जी ने विनम्रता पूर्वक उनसे निवेदन किया की आप अपने यज्ञ के मन्त्र से एक अक्षर बदल दीजिये लेकिन ब्राह्ण इस रहस्य को समझ नही पाए और तथास्तु बोल दिया | मंत्र में जयादेवी… भूर्तिहरिणी में ‘ह’ के स्थान पर ‘क’ उच्चारित करें, यही मेरी इच्छा है। भूर्तिहरिणी यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और ‘करिणी’ का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली, जिससे देवी रुष्ट हो गईं और रावण यज्ञ का सर्वनाश कर दिया। हनुमान जी महाराज ने श्लोक में ‘ह’ की जगह ‘क’ करवाकर रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी |
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